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Kayastha Samaj   कायस्थ समाज

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कायस्थ एकता यात्रा

3 दिसम्बर 2011 से शुरू हो रही हैं जो भारत के विभिन्न भागो में होते हुए 5 फरवरी 2012 को दिल्ली में समाप्त होगी|
ए.सी. भटनागर-09911646060 सिद्धार्थ श्रीवास्तव- 09610006582   सतीश कुमार-09968775950  अरविंद कुमार �मुकुल�-09899318085,
अभय सिन्हा-09999271034,  अनिल सक्सेना-09818152407,  सुशील श्रीवास्तव-09811118261,  संजीव श्रीवास्तव-09810122330
पंजीकृत कार्यालय :- सी-108, खिड़की एक्स. पंचशील विहार मालवीय नगर, नई दिल्ली

मान्यवर,
     कायस्थ, एक बुद्धिजीवी, विचारनिष्ठ एवं कर्तव्यपरायण परम्परा का सूत्र बनकर राष्ट्रीय धारा में समाहित हैं | राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता की रक्षा में अपना सर्वस्व अर्पण कर भारत को एक बलशाली, गौरवशाली, शक्तिशाली राष्ट्र का रूप देना उनका उद्देश्य रहा है | आज भी जहाँ कायस्थ हैं, वे अपनी विलक्षणता, बुद्धिमता तथा न्यायप्रियता के कारण बुलन्दी पर खड़े हैं |
राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त की ये पंक्तियाँ प्रेरणा स्रोत है �जिनको नहीं निज धर्म व निज जाती का अभिमान है, वह नर नहीं नर पशु नित और मृतक समान हैं�|
     इसी प्रसंग में �मैक्समुलर� की उक्ति है �जो जाती अपने अतीत, साहित्य और इतिहास पर गर्व अनुभव नहीं करता, वह अपने राष्ट्रीय चरित्र का मूल आधार खो देती है|
     इतिहास साझी है की चित्रगुप्त वंशजों ने देश और दुनिया को बहुत कुछ दिया है | स्वामी विवेकानंद, राजा टोडरमल, खुदीराम बोस, बटुकेश्वर दत्त, लाला हरदयाल, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, लाला लाजपत राय, देशबंधु चितरंजन दास, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भारतरत्न लाल बहादुर शास्त्री, कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचंद, डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा, जगदीश चंद बसु, गणेश शंकर विद्यार्थी, कवि महादेवी वर्मा, शांति स्वरुप भटनागर जैसी अनेक विभूतियाँ ने भारत को गौरवशाली बनाया है |
     कायस्थ शिक्षा, न्याय, प्रशाशन तथा संसार में कानून व अनुशाशन के संरक्षण की एक संस्कृति है | कायस्थ एक खुशबु है, एक गुलदस्ता है, रहन-सहन का एक तरीका है | एक बुद्धिजीवी समुदाय है, एकवंश है, चित्रगुप्त महापरिवार है | हम जाति विहीन हैं तथा सभी वर्ग हमारे लिये समान हैं | हमको भगवन श्री चित्रगुप्त से प्रेरणा प्राप्त होती रही है | कायस्थ पूरे समाज का अति महत्वपूर्ण, अभिन्न एवं अपरिहार्य अंग रहा है | कायस्थ हमेशा से कला के धनी तथा कलम के सिपाही रहे हैं | कायस्थ भारत की अन्य प्रमुख वर्गीय व्यवस्थाओं की संस्कृति से अलग संस्कृति है | कहते हैं की जीवित कौम वह होती है जो इतिहास से प्रेरणा लेती है और उनमें प्रेरित होकर वर्तमान की पृष्टभूमि में स्वर्णिम भविष्य की रूपरेखा तैयार करती है |
     कायस्थ क्या है ? कायस्थ का अर्थ है काया स्थित परमतत्व | आत्मा का ज्ञानी | साथ ही काया पांच महाभूत से निर्मित है | वस्तुत: काया एवं आत्मा के सम्बन्ध ज्ञान का ज्ञाता ही कायस्थ है | ज्ञान हमारा बहुमूल्य आभूषण है एवं ज्ञान के कारण ही हमारी ख्याति सरे भूमंडल में व्याप्त है | वह नैतिकता का आधार है और न्याय एवं प्रशाशन का मूल अंग है | वह कलम दवात एवं कर्म का पुजारी है |
     कायस्थ वंश के लोगों को अपनी समस्याओं के समाधान का एकमात्र उपाय अपने वंश को मजबूत करना है | विचारों में परिवर्तन लाना समय की पुकार है | आज आवश्यकता है अपने भीतर सकारात्मक सोच पैदा करने की | लोकतंत्र में बिना एकता के सामाजिक स्तर पाना कठिन है |
     अत: अब समय आ गया है की पूरे देश में कायस्थों को एकसूत्र में बांधा जाय, ताकि समाज में जो गरीबी से अभिशप्त जीवन जी रहे है, उनका उद्धार हो सके | राष्ट्रीय संरचना समाज की विकासोंमुखता की परिणति है | देश का सर्वांगीण विकास समाज के सुपुष्ट एवं सबल होने पर ही कार्यान्वित हो सकता है |
     कायस्थों की आबादी भारत में घनी हो गई है | कायस्थ उत्तर से चलकर सारे देश में फैल गये हैं, ये कभी भी पृथक अस्तित्ववादी, चापलूसी तथा भाग्यवादी नहीं रहे | कायस्थों की प्रतिष्ठा उनेक कठिन परिश्रम, सहिष्णुता तथा समझ के अनुकूल अपने को बदलने का प्रतिफल है | कलम ही उनकी पूंजी है और कलम ही जीविका का आधार |
     आज पूरा देश बदलती परिस्थिति से आक्रान्त है | कायस्थ समाज की अस्मिता पर चौतरफा प्रहार हो रहा है, कायस्थ सदा से श्रमजीवी रहे हैं | जीविकापार्जन हेतु नौकरी करना ही हमारे लिये अभिष्ट रहा है | आरक्षण की राजनीति ने हमारे समाज की कमर तोड़ दी है | हमारे पुश्तैनी पेशे से हम ही महरूम हो रहे हैं और कलम हमसे छिन गया है | जो आरक्षण 10 वर्षों के लिये था वह अनिवार्य रूप से अब भी चल रहा है | परन्तु उसका लाभ केवल मलाईदार तबका ही उठा रहा है, जबकि दलित और वंचित समाज अब भी घोर गरीबी में पल रहा है | अत: वर्तमान के आरक्षण व्यवस्था को बदलना समय की मांग है | हमारा सुझाव है कि आरक्षण किसी भी प्रकार से सबलों को नहीं मिले बल्कि उन गरीबों को मिले जिन्हें अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है |
     इसी सन्दर्भ में कुछ अन्य मुद्दों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर एक कायस्थ एकता यात्रा आगामी 3 दिसम्बर, 2011 से भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के गांव जीरादेई ( सिवान, बिहार ) से चलकर झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश होते हुए दिल्ली पहुंचेगी | दिल्ली में इसका समापन �सदभावना दिवस� के रूप में 5 फरवरी, 2012 को होगा |
     यह यात्रा आपकी है | आप इसके सहभागी हैं अत: इसकी सफलता के लिये आप हर संभव योगदान करें और खुले मन से सबको शामिल होने के लिये प्रेरित करें |

इस यात्रा के माध्यम से हम निम्न उद्देश्यों के लिये चेतना जागृत करना चाहते हैं :-

1. भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण |
2. सुशाशन एवं न्याय प्रणाली में बदलाव के जरिये दलित, किसान, मजदूर एवं वृद्ध और युवा वर्ग को त्वरित न्याय |
3. न्याय में पारदर्शिता |
4. शिक्षा पद्धति में बदलाव और रोजगार पूरक शिक्षा को प्राथमिकता |
5. उच्च शिक्षा में सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर एवं दलित बच्चों को निशुल्क सुविधा |
6. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना |
7. देश के हर राज्य में �एम्स� जैसी आधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल खोलें जाएँ और स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे |
8. नौकरियों में कायस्थों को 2 प्रतिशत आरक्षण |
9. वर्तमान व्यवस्था में जिन परिवारों को आरक्षण का लाभ एक बार मिल चुका हो, उन्हें आरक्षण की सुविधा नहीं मिले | जिससे आरक्षण का लाभ अन्य वंचितों को मिल सके | आरक्षण का आधार केवल जातिगत न होकर आर्थिक भी रखा जाय |
10. महंगाई को नियंत्रित करना |
11. औद्योगिक विकास के लिये कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाय | . औधोगिक विकास के लिये उसर व बंजर भूमि का ही अधिग्रहण किया जाय |
12. बेरोजगारों को नौकरी मिलने तक बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान हो |
13. �3 दिसम्बर� को �संविधान दिवस� घोषित किया जाय |
14. स्वस्थ समाज एवं स्वस्थ देश के लिये हर जिले में नशामुक्ति केंद्र, सांस्कृतिक केंद्र और खेल-क्रीड़ा केंद्र की स्थापना की जाय |
15. देश के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद की स्मृति में देश की राजधानी दिल्ली, पटना तथा जीरादेई में भव्य स्मारक का निर्माण किया जाय एवं श्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मस्थान रामनगर, वाराणसी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये |

कायस्थ एकता यात्रा
3 दिसम्बर 2011 से 5 फरवरी 2012
|| यात्रा-कार्यक्रम ||

1. सिवान/छापरा � 03 दिसम्बर, 2011
2. मुजफ्फरपुर - 04 दिसम्बर, 2011
3. मोतीहारी/सीतामढ़ी - 05 दिसम्बर, 2011
4. मधुबनी/दरभंगा/समस्तीपुर - 06 दिसम्बर, 2011
5. पटना � 07 दिसम्बर, 2011
6. गया � 08 दिसम्बर, 2011
7. हजारीबाग � 09 दिसम्बर, 2011
8. धनबाद/बकारो � 10 दिसम्बर, 2011
9. रांची � 11 दिसम्बर, 2011
10. डालटेनगंज � 12 दिसम्बर, 2011
11. रीवा � 13 दिसम्बर, 2011
12. कटनी � 14 दिसम्बर, 2011
13. जबलपुर � 15 दिसम्बर, 2011
14. सागर � 16 दिसम्बर, 2011
15. भोपाल � 17 दिसम्बर, 2011
16. इंदौर � 18 दिसम्बर, 2011
17. उज्जैन � 19 दिसम्बर, 2011
18. राजगढ़ � 20 दिसम्बर, 2011
19. झालावाड़/कोटा � 21 दिसम्बर, 2011
20. चितौडगढ़ � 22 दिसम्बर, 2011
21. उदयपुर � 23 दिसम्बर, 2011
22. जोधपुर � 24 दिसम्बर, 2011
23. अजमेर � 25 दिसम्बर, 2011
24. जयपुर � 26 दिसम्बर, 2011
25. भरतपुर � 27 दिसम्बर, 2011
26. मथुरा/अलीगढ़ � 28 दिसम्बर, 2011
27. आगरा � 29 दिसम्बर, 2011
28. मैनपुरी/इटावा � 30 दिसम्बर, 2011
29. ग्वालियर � 31 दिसम्बर, 2011
30. झाँसी � 01 जनवरी 2012
31. औरैया/कन्नौज � 02 जनवरी 2012
32. कानपुर � 03 जनवरी 2012
33. फतेहपुर/बांदा � 04 जनवरी 2012
34. चित्रकूट � 05 जनवरी 2012
35. इलाहाबाद � 06 जनवरी 2012
36. मिर्जापुर � 07 जनवरी 2012
37. वाराणसी � 08 जनवरी 2012
38. रामनगर � 09 जनवरी 2012
39. गाजीपुर/बलिया � 10 जनवरी 2012
40. मऊ/गोरखपुर � 11 जनवरी 2012
41. बस्ती/अयोध्या � 12 जनवरी 2012
42. फैजाबाद � 13 जनवरी 2012
43. सुल्तानपुर � 14 जनवरी 2012
44. प्रतापगढ़/अमेठी � 15 जनवरी 2012
45. रायबरेली � 16 जनवरी 2012
46. लखनऊ � 17 जनवरी 2012
47. लखनऊ � 18 जनवरी 2012
48. हरदोई � 19 जनवरी 2012
49. सीतापुर/लखीमपुरखेरी � 20 जनवरी 2012
50. शाहजांहनपुर � 21 जनवरी 2012
51. बरेली � 22 जनवरी 2012
52. बरेली � 23 जनवरी 2012
53. पीलीभीत � 24 जनवरी 2012
54. बहेड़ी/हल्दवानी � 25 जनवरी 2012
55. रुद्रपुर � 26 जनवरी 2012
56. रामपुर � 27 जनवरी 2012
57. मुरादाबाद � 28 जनवरी 2012
58. ब्रजघाट � 29 जनवरी 2012
59. मेरठ � 30 जनवरी 2012
60. गाजियाबाद � 31 जनवरी 2012
61. नोएडा � 01 फरवरी 2012
62. गुडगाँव � 02 फरवरी 2012
63. फरीदाबाद � 03 फरवरी 2012
64. द्वारका � 04 फरवरी 2012
65. दिल्ली � 05 फरवरी 2012
( दिल्ली में विशाल सदभावना दिवस सम्मेलन का आयोजन )

डॉ. राजेंद्र प्रसाद जयंती पर अंतर्राष्टीय चित्रांश दिवस मनाया जा रहा हैं
अंतर्राष्टीय चित्रांश दिवस पर सभी कायस्थ बंधुओं को हार्दिक शुभकामनायेँ |

पंजीकृत कार्यालय :- सी-108, खिड़की एक्स. पंचशील विहार मालवीय नगर, नई दिल्ली
पत्राचार कार्यालय :- कामेश्वर श्रीवास्तव, 09810709092 57ए, प्रथम तल, खिर्जाबाद न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली-65

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